नई दिल्ली । स्टैंड-अप इंडिया योजना ने बीते कुछ वर्षों में शानदार वृद्धि दर्ज की है, इसके तहत स्वीकृत की गई कुल लोन राशि 31 मार्च, 2019 को 16,085.07 करोड़ रुपये से बढ़कर 17 मार्च, 2025 तक 61,020.41 करोड़ रुपये हो गई है। इसकी जानकारी केंद्र की ओर से दी गई।
इस अवधि में एससी खाते 9,399 से बढ़कर 46,248 हो गए, जबकि लोन राशि 1,826.21 करोड़ से बढ़कर 9,747.11 करोड़ रुपये हो गई। एसटी खाते 2,841 से बढ़कर 15,228 हो गए, जबकि स्वीकृत किए गए लोन 574.65 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,244.07 करोड़ रुपये हो गए। वित्त मंत्रालय ने कहा, 2018 से 2024 तक महिला उद्यमियों के खाते 55,644 से बढ़कर 1,90,844 हो गए, जबकि स्वीकृत की गई राशि 12,452.37 करोड़ रुपये से बढ़कर 43,984.10 करोड़ रुपये हो गई।
स्टैंड-अप इंडिया योजना परिवर्तनकारी पहल रही है, जो एससी, एसटी और महिला उद्यमियों को उनके व्यावसायिक विचारों को वास्तविकता में बदलने का मौका देती है। मंत्रालय ने बताया, लोन स्वीकृति और वितरण में महत्वपूर्ण उपलब्धियों के साथ योजना समावेशी विकास को बढ़ावा देना जारी रखती है। योजना केवल लोन को लेकर नहीं है, बल्कि यह अवसर पैदा करने, बदलाव लाने और आकांक्षाओं को उपलब्धियों में बदलने को लेकर भी है।
5 अप्रैल, 2016 को अपनी शुरुआत के बाद से, स्टैंड-अप इंडिया योजना एससी, एसटी और महिला उद्यमियों को सशक्त बना रही है। योजना का मकसद नए व्यवसाय शुरू करने के लिए बैंक लोन प्रदान कर बाधाओं को दूर करना है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, बीते 7 वर्षों में, योजना ने न केवल व्यवसायों को फंड उपलब्ध करवाया बल्कि लाखों लोगों के सपनों को भी पूरा किया। इसके साथ ही आजीविका का सृजन करते हुए पूरे भारत में समावेशी विकास को बढ़ावा दिया है।
स्टैंड-अप इंडिया योजना ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने के लिए प्रत्येक बैंक शाखा कम से कम एक अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) उधारकर्ता और कम से कम एक महिला उधारकर्ता को 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच बैंक लोन की सुविधा प्रदान करती है।