प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे उपमुख्यमंत्री शिवकुमार, पार्टी ने दिए निर्देश
बंगलूरू। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस में सत्ता संघर्ष खत्म होता दिख रहा है। कांग्रेस सूत्रों ने रविवार को बताया, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को राज्य इकाई के प्रमुख के रूप में बनाए रखने का निर्णय लिया है बता दें कि पिछले कई महीनों से पार्टी के अंदर शीर्ष पद को लेकर कलह चल रहा था। हाल ही में शिवकुमार मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ पिछले गुरुवार और शुक्रवार को दिल्ली पहुंचे थे। जहां उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवकुमार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मुहिम चल रही थी। सिद्धारमैया के खेमे के कई विधायक और मंत्री शिवकुमार को पार्टी के राज्य अध्यक्ष पद से हटने की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि पार्टी नीति एक व्यक्ति, एक पद का पालन होना चाहिए।
बता दें कि डीके शिवकुमार राज्य के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष दोनों पदों पर हैं, इसलिए पार्टी में उनके विरोधी यह तर्क दे रहे थे कि मंत्री पद का कार्यभार संभालने वाला व्यक्ति पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलकर उचित रूप से पार्टी प्रमुख का कर्तव्य नहीं निभा सकता है। हालांकि आलाकमान डीके शिवकुमार को इस पद से हटाने के मूड में नहीं है। क्योंकि डीके शिवकुमार ने विधानसभा चुनावों फिर लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली जीत और हालिया उपचुनावों में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इसलिए पार्टी उनके योगदान को देखते हुए, उन्हें उस पद से हटाना नहीं चाह रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि पार्टी आलाकमान कम से कम इस साल नवंबर और दिसंबर तक शिवकुमार को बदलने के लिए इच्छुक नहीं है।
सीएम पद को लेकर गुप्त समझौता!
रिपोट्र्स की मानें तो, एक गुप्त समझौते के तहत सिद्धारमैया कर्नाटक में कांग्रेस के पांच साल के कार्यकाल के पहले हिस्से का नेतृत्व करेंगे, जबकि दूसरे हिस्से में डीके शिवकुमार राज्य की सत्ता संभालेंगे। हालांकि, न तो सिद्धारमैया और न ही शिवकुमार ने इस बात की पुष्टि की है, लेकिन उनके समर्थक मंत्री और विधायक समय-समय पर अपने-अपने नेताओं के पक्ष में लॉबी करते नजर आते हैं।
हनी ट्रैप मुद्दे से नाराज हुए राहुल गांधी
एक अन्य पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने एमएलसी चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन का जिम्मा सिद्धारमैया और शिवकुमार पर छोड़ दिया है। हनी ट्रैप मुद्दे पर कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी इस मुद्दे को उठाए जाने के तरीके से नाराज हैं। राहुल गांधी का मानना था कि, इसे विधानसभा में उठाने से बचाना चाहिए था। सहकारिता मंत्री के. एन. राजन्ना ने इस मुद्दे को कर्नाटक विधानसभा में उठाया था और यहां तक कि दावा किया था कि कम से कम 48 विधायकों को हनी ट्रैप का शिकार बनाया गया था। मंत्री को राज्य के लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली का भी समर्थन मिला था, जिन्होंने कहा था कि कुछ मंत्रियों और विधायकों पर हनी ट्रैप के प्रयास किए गए थे।