ब्लैक मंडे :बाजार में भयंकर बिकवाली, सेंसेक्स में 2500 अंक की गिरावट ने मचाई सनसनी!
Sensex Crash: वैश्विक बाजारों में कमजोरी के बीच सोमवार (7 अप्रैल) भारतीय शेयर बाजार के लिए 'ब्लैक मंडे' साबित हुआ। अमेरिका ने 180 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगा दिया है। जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 34 फीसदी का जवाबी टैरिफ लगा दिया है। इससे दुनिया में ग्लोबल ट्रेड वॉर की चिंता गहरा गई है। इसके अलावा विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इसके चलते बाजार में चारों तरफ बिकवाली देखने को मिल रही है। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स आज करीब 4000 अंकों की गिरावट के साथ 71,449.94 पर खुला। जबकि शुक्रवार को यह 75,364.69 अंकों पर बंद हुआ था। सुबह 9:20 बजे सेंसेक्स 3153.86 अंकों यानी 4.18 फीसदी की भारी गिरावट के साथ 72,210.83 पर था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी-50 भी 1000 से ज्यादा अंकों की गिरावट के साथ 21,758.40 पर खुला। शुक्रवार को यह 22,904 पर बंद हुआ था। सुबह 9:24 बजे निफ्टी 996.15 अंकों यानी 4.35% की भारी गिरावट के साथ 21,908.30 अंकों पर था।
10 मिनट में निवेशकों को ₹18 लाख करोड़ का नुकसान
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में आई बड़ी गिरावट से निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। बाजार खुलते ही बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप गिरकर 3,86,01,961 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। शुक्रवार को यह 404,09,600 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह बाजार खुलने के 10 मिनट के अंदर ही निवेशकों की दौलत 18,07,639 करोड़ रुपये घट गई।
शुक्रवार को कैसी रही बाजार की चाल?
इससे पहले शुक्रवार के कारोबारी सत्र में सेंसेक्स 930.67 अंक यानी 1.22% की गिरावट के साथ 75,364.69 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी 50 में 345.65 अंकों की गिरावट आई और यह 1.49% की गिरावट के साथ 22,904.45 पर बंद हुआ।
वैश्विक बाजार में गिरावट जारी, एशियाई बाजारों में बड़ी गिरावट
सोमवार को एशियाई बाजारों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका ने निवेशकों में घबराहट बढ़ा दी है। जापान का निक्केई इंडेक्स 8 फीसदी से ज्यादा गिरा, जबकि टॉपिक्स इंडेक्स 8.6 फीसदी गिरा। सर्किट ब्रेकर लगने से बाजार में भारी गिरावट के कारण जापानी वायदा कारोबार को अस्थायी रूप से रोक दिया गया। दक्षिण कोरिया के बाजारों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली। शुरुआती कारोबार में कोस्पी इंडेक्स 4.3 फीसदी गिरा, जबकि कोसडैक 3.4 फीसदी गिरा। ऑस्ट्रेलिया का ASX 200 इंडेक्स 6 फीसदी फिसला और अब अपने फरवरी के शिखर से 11 फीसदी नीचे है, यानी यह सुधार क्षेत्र में पहुंच गया है। अमेरिका में निवेशकों का भरोसा भी डगमगाता हुआ दिखाई दिया। डॉव जोन्स फ्यूचर्स में 979 अंक या 2.5 फीसदी की गिरावट आई। एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 2.9 फीसदी की गिरावट आई, जबकि नैस्डैक-100 फ्यूचर्स में 3.9 फीसदी की गिरावट आई।
इस बीच, अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें भी 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे गिर गईं। डब्ल्यूटीआई क्रूड फ्यूचर्स 3 फीसदी से ज्यादा गिरकर 59.74 डॉलर पर आ गया, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचला स्तर है। हालांकि, इतनी गिरावट के बावजूद ट्रंप प्रशासन के आर्थिक सलाहकारों ने महंगाई या मंदी को लेकर चिंता नहीं जताई है। उनका कहना है कि टैरिफ पर बाजार की प्रतिक्रिया मायने नहीं रखेगी और वे लागू रहेंगे। शुक्रवार को अमेरिकी शेयर बाजारों में तेज गिरावट देखी गई। इसका मुख्य कारण चीन द्वारा अमेरिकी सामानों पर 34 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा थी। इससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका और गहरा गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा सकती है।
- इस खबर के बाद, डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 5.5% की गिरावट आई, जो जून 2020 (कोविड महामारी के दौरान) के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। एसएंडपी 500 इंडेक्स में भी 5.97% की गिरावट आई, जिसे मार्च 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट माना जा रहा है। वहीं, टेक कंपनियों से भरे नैस्डैक इंडेक्स में भी 5.8% की गिरावट दर्ज की गई। खास बात यह है कि दिसंबर के शीर्ष स्तर से लेकर अब तक नैस्डैक में कुल 22% की गिरावट आ चुकी है, जिसके चलते यह बियर मार्केट में प्रवेश कर चुका है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से शुरू
भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार को बैठक होगी। यह चालू वित्त वर्ष की पहली बैठक होगी। उम्मीद है कि आरबीआई पॉलिसी रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती कर सकता है। हालांकि, इसमें और अधिक कटौती की भी संभावना है। बैठक में लिक्विडिटी यानी नकदी प्रवाह से जुड़े उपायों पर भी नजर रहेगी, ताकि रेपो रेट में बदलाव का असर बैंकों की लोन और डिपॉजिट दरों पर आसानी से पहुंच सके। बैठक से पहले आरबीआई ने लिक्विडिटी फ्रेमवर्क को लेकर बैंकों की राय लेने के लिए उनके साथ कई बैठकें की हैं।