एक अनसुनी कहानी, जो अभी तक थी पिछड़ी; अब आ गई मैदान में, न कोई उम्र न कोई ओहदा
इंदौर(आयुषी सिंह): एक ऐसी महिला से हम आपको रूबरू कराते है जिसका चीते की तरह भगाना बचपन से था सपना, पर समाज और परिवार के कारण अपनी रेस को नहीं बढ़ा पाई आगे, जिसने 40 साल की उम्र में वह कर दिखाया, जिसकी उम्मीद नहीं थी। हम इंदौर की संगीता पांडेय तिवारी की बात कर रहे हैं संगीता एक ऐसी खिलाड़ी जो अभी तक थी पिछड़ी, पर अपनी बेटी के लिए मैदान में उतरी और नेशनल में खेलकर तीन पदक जीत कर आई।
संगीता बचपन से ही एक खिलाड़ी बनना चाहती थी रेस का हिस्सा बनना चाहती थी पर कुछ लगामों ने संगीता को रोक दिया दरअसल उनके पिता नहीं चाहते थे कि संगीता स्पोर्ट्स में जाए पर फिर भी संगीता ने हिम्मत नहीं हारी वह घर से अपना करियर बनाने निकल आई और कई मुश्किलों के बावजूद भी उन्होंने अपना करियर चुना पर कहते हैं ना परिवार से अलग होकर आप कहां जाओगे तो संगीता घर गई और उनकी शादी हो गई पर शादी के बाद संगीता की बेटी को स्पोर्ट्स में इंटरेस्ट था बेटी को स्पोर्ट्स ज्वाइन करवाया, बेटी के साथ-साथ वह भी मैदान में उतर गई और खेलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते अब वहां नेशनल में खेलने लगी,,7वीं सुपर नेशनल मास्टर्स गेम्स 2025 में तीन पदक जीतकर बढ़ाया शहर का गौरव।
इंदौर निवासी संगीता पांडेय तिवारी ने एथलेटिक्स में 100 मीटर दौड़ में कांस्य पदक, 4×100 मीटर मिक्स रिले में रजत पदक और ट्रिपल जंप में स्वर्ण पदक जीतकर अपने आयु वर्ग में शानदार प्रदर्शन किया इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उनके साथ उनकी पांच वर्षीय बेटी भी मौजूद रही। संगीता का कहना है कि सरकार को सिर्फ एक या दो खेलों पर ध्यान देने के बजाय सभी खेलों को प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि हर वर्ग और हर उम्र के खिलाड़ी को मौका मिल सके। संगीता की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि उस हिम्मत और जज्बे की कहानी है जो बताता है कि अगर इरादा पक्का हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता- चाहे उम्र कुछ भी हो।