अयोध्या: बुजुर्ग की संदिग्ध मौत पर परिजनों का हंगामा, जांच की मांग तेज

राम नगरी अयोध्या के दर्शन नगर में राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज इलाज में के दौरान एक 76 वर्षीय बुजुर्ग की मौत ने पूरे अस्पताल प्रशासन को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. मृतक नरेंद्र बहादुर सिंह, बीकापुर कोतवाली क्षेत्र के रजौरा गांव के रहने वाले थे. परिजनों का आरोप है कि इलाज में लापरवाही नहीं, बल्कि घोर अपराध हुआ है और इसकी कीमत उन्हें अपने पिता की जान देकर चुकानी पड़ी.
मामला गुरुवार को शुरू हुआ, जब नरेंद्र बहादुर सिंह को फेफड़ों की बीमारी और हाई बीपी-शुगर की शिकायत के चलते मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. शुक्रवार शाम लगभग पांच बजे उन्हें एक इंजेक्शन लगाया गया था. उसकी दूसरी डोज मरीज को 10 घंटे के बाद देनी थी, लेकिन लापरवाह स्टाफ ने दूसरी डोज महज 22 मिनट में पेशेंट को लगा दी. परिजनों का दावा है कि इंजेक्शन का डोज ज्यादा था, और इसकी वजह से उनकी हालत अचानक बेहद खराब हो गई.
वार्ड बॉय और स्टाफ नर्स निलंबित
परिजनों और बेटियों का कहना है कि जैसे ही उनके पिता की तबीयत बिगड़ी, स्टाफ को सूचना दी गई, लेकिन कोई प्रशिक्षित डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचा. करीब आधे घंटे तक उनको आईसीयू में सीपीआर दिया जाता रहा, जबकि उस समय तक वह दम तोड़ चुके थे. ये लापरवाही नहीं, बल्कि सीधा जीवन से खिलवाड़ था. हंगामा बढ़ता और मामले की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यजीत वर्मा ने तत्काल प्रभाव से वार्ड बॉय अखिलेश और संबंधित स्टाफ नर्स को निलंबित कर दिया है. साथ ही मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी गई है.
शिकायत सीएम जनसुनवाई पोर्टल पर भी दर्ज
प्राचार्य ने स्पष्ट किया कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. परिजनों ने सीएम योगी आदित्यनाथ तक अपनी बात पहुंचाने की ठान ली है. उनका साफ कहना है कि जब तक मुख्यमंत्री से उन्हें न्याय का आश्वासन नहीं मिलेगा, वे अपने पिता के शव को नहीं ले जाएंगे. मामले की शिकायत मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर भी दर्ज करा दी गई है. यह घटना न सिर्फ मेडिकल कॉलेज की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है, बल्कि पूरे सिस्टम को झकझोर देने वाली है. अब देखना यह है कि क्या लापरवाही के इस मामले में वाकई न्याय होगा, या फिर यह भी एक आंकड़ा बनकर रह जाएगा.