चारदीवारी के बिना कब्रिस्तान, मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, अधिकारियों से मांगा स्पष्टीकरण
हरियाणा। हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने रोहतक के गांव धामड़ निवासी की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए एक अहम आदेश पारित किया है। शिकायतकर्ता ने आयोग को अवगत कराया कि गांव के कब्रिस्तान की चारदीवारी अब तक नहीं बन पाई है, जबकि पंचायत के पास आवश्यक धनराशि उपलब्ध है और इस संबंध में कई बार अनुरोध भी किए जा चुके हैं।
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा ने पाया कि इस प्रकार की लापरवाही न केवल मृतकों की गरिमा का हनन है, बल्कि यह ग्राम वासियों की धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं के प्रति असंवेदनशीलता को भी दर्शाता है। मृतक की गरिमा की रक्षा करना समाज और शासन दोनों की जिम्मेदारी है, जो मृत्यु के बाद भी समाप्त नहीं होती।
जस्टिस ललित बत्रा ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा है कि हरियाणा पंचायत राज अधिनियम, 1994 की धारा 21(18)(3) के तहत ग्राम पंचायतों का यह वैधानिक कर्तव्य है कि वे श्मशान और कब्रिस्तान जैसे सामुदायिक संसाधनों की देखरेख और सुरक्षा सुनिश्चित करें। इस दिशा में लापरवाही एक गंभीर प्रशासनिक चूक और मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
हरियाणा मानवाधिकार आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसम्पर्क अधिकारी डॉक्टर पुनीत अरोड़ा ने बताया कि इस मामले में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता को देखते हुए आयोग ने उपायुक्त रोहतक, जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी रोहतक तथा खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी (ब्लॉक रोहतक) से रिपोर्ट तलब की है। सभी अधिकारियों से यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि कब्रिस्तान की चारदीवारी अब तक क्यों नहीं बनी और इसे कब तक पूरा किया जाएगा। इस संबंध में अगली सुनवाई 18 सितंबर 2025 को होगी। आयोग ने यह आदेश शिकायतकर्ता, संबंधित अधिकारियों तथा गांव धामड़ के सरपंच को ईमेल और डाक द्वारा भेजने के निर्देश भी दिए हैं।