Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब छह नए न्यायाधीशों ने पद की शपथ ली। इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत न्यायाधीशों की कुल संख्या बढ़कर 40 हो गई है। हालांकि, अभी भी 20 पद रिक्त हैं क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट में स्वीकृत न्यायाधीशों की कुल संख्या 60 है। शपथ ग्रहण समारोह हाईकोर्ट परिसर में आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने की। उन्होंने ही सभी छह न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई।

शपथ लेने वाले न्यायाधीशों में जस्टिस वी. कामेश्वर राव, जस्टिस नितिन वासुदेव साम्ब्रे, जस्टिस विवेक चौधरी, जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल, जस्टिस अरुण कुमार मोंगा और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला शामिल हैं। इन सभी को अन्य हाईकोर्ट्स से स्थानांतरित कर दिल्ली लाया गया है। शपथ ग्रहण की प्रक्रिया में एक खास बात यह रही कि जस्टिस विवेक चौधरी ने हिंदी में शपथ ली, जो कि न्यायपालिका में भाषा के विविध प्रयोग को दर्शाता है। अन्य पांच न्यायाधीशों ने अंग्रेजी में शपथ ली।

इन नए न्यायाधीशों की पृष्ठभूमि की बात करें तो जस्टिस नितिन साम्ब्रे पहले बंबई हाईकोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला का स्थानांतरण इलाहाबाद हाईकोर्ट से हुआ है। जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में सेवाएं दे रहे थे। जस्टिस अरुण कुमार मोंगा राजस्थान हाईकोर्ट में कार्यरत थे। जस्टिस वी. कामेश्वर राव का तबादला कर्नाटक हाईकोर्ट से हुआ है। इन स्थानांतरणों का निर्णय भारत सरकार द्वारा 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर लिया गया और उसी दिन इसका आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया गया था।

इस घटनाक्रम के साथ ही हाईकोर्ट के कॉलेजियम में भी बदलाव तय है। उल्लेखनीय है कि अभी तक कॉलेजियम में चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय, जस्टिस विभु बाखरू और जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह शामिल थे। परंतु जस्टिस बाखरू का हाल ही में कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में पदोन्नति होने के कारण उनका स्थान रिक्त हुआ है। उन्हें 16 जुलाई को औपचारिक विदाई दी गई थी।

अब कॉलेजियम का पुनर्गठन होगा जिसमें जस्टिस उपाध्याय के साथ वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस वी. कामेश्वर राव और जस्टिस नितिन साम्ब्रे को शामिल किया जाएगा, क्योंकि ये दोनों जस्टिस प्रतिभा सिंह से वरिष्ठ हैं। यह फेरबदल न्यायिक प्रशासन की दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ लंबित मामलों के शीघ्र निपटारे में भी मददगार सिद्ध हो सकता है। हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ने से न्याय प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद है।