इंदौर: मर्कज़े अहले सुन्नत दारुल उलूम नूरी में हुज़ूर मुफ़्तिए आज़म मालवा मुफ्ती मुहम्मद नुरुलहक़ साहब की सरपरस्ती में एक होनहार तालिबे इल्म हाफ़िज़ अब्दुल रहीम जो ग्वालियर के रहने वाले हैं और मर्कज़े अहले सुन्नत दारुल उलूम नूरी के शोअबए हिफ़्ज़ (बड़वाली चौकी) में रहकर त'अलीम हासिल करते हैं जिन्होंने ने एक अज़ीम कारनामा अंजाम दिया। माशाअल्लाह हाफ़िज़ अब्दुल रहीम ने एक बैठक में कुरआन के 30 पारे सुनाए यानी मुकम्मल क़ुरआन सुनाया, जिन्हें सुनाने में उन्हें पूरे 10 घंटे का वक़्त लगा।

दारुल उलूम नूरी के इस होनहार तालिबे इल्म का मुकम्मल क़ुरआन इंदौर शहर की मशहूरो मारूफ हस्तियों ने सुना, जिनमें हज़रत हाफ़िज़ दुर्रे मख़नून साहब (गुलज़ार कॉलोनी), हज़रत मुफ्ती सय्यद साबिर अली साहब (मुहम्मदी मस्जिद चंदन नगर), हज़रत हाफ़िज़ क़ारी मसरूरूल हक़ साहब (उस्मानिया मस्जिद चन्दन नगर), हज़रत हाफ़िज़ इरफान चिश्ती साहब (या हबीबल्लाह मस्जिद, चंदन नगर), हज़रत हाफ़िज़ शोएब नूरी साहब (हरी मस्जिद जूना पीठा), हज़रत हाफ़िज़ सलाहुद्दीन साहब (सदर बाज़ार), हज़रत हाफ़िज़ शोएब साहब (मिनारा मस्जिद बॉम्बे बाज़ार), हज़रत हाफ़िज़ रफीक साहब (सिकंदराबाद), हज़रत हाफ़िज़ नफीस नूरी साहब (मोरी वाले बाबा मस्जिद), हज़रत मौलाना जावेद अख्तर स'अदी साहब (विजय पैलेस), हज़रत हाफ़िज़ नदीम नूरी साहब (मस्जिद कानूनगो बाखल), हज़रत हाफ़िज़ शहनवाज साहब (मस्जिद लोहारपट्टी), हज़रत क़ारी फिरोज़ आलम साहब, हज़रत मौलाना कमरुद्दीन साहब, हज़रत हाफ़िज़ ज़फ़र साहब, हज़रत हाफ़िज़ ग़ुलाम मुस्तफा साहब, ने सुना और तमाम सामईन ने हाफ़िज़ अब्दुल रहीम के पढ़ने को खूब सराहा और बताया कि बच्चे ने बग़ैर किसी कमी के बेहतरीन अंदाज़ में पूरे 30 मुकम्मल क़ुरआन एक बैठक में सुनाए।

क़ुरआन मजीद की इस नूरानी महफिल में दारुल उलूम नूरी के तालिबे इल्म हाफ़िज़ अब्दुल रहीम की हौंसला अफज़ाई के लिए शहर की मुअज्ज़ज़ हस्तियों ने भी शिरकत फरमाई जिनमें जनाब पार्षद अंसाफ अंसारी साहब, जनाब पार्षद अनवर दस्तक साहब, जनाब पार्षद रफ़ीक़ खान साहब, जनाब अब्दुल राज़िक बाबा पान वाले, जनाब मुईनुद्दिन साहब के अलावा इस मुबारक मौक़े और भी कई अक़ीदतमन्द मौजूद थे जिन्होंने अपने शिरकत से बच्चे की हौसला अफज़ाई फरमाई और महफिल को पूरनूर बनाया।

आप हज़रात दुआ करें कि अल्लाह तआला उसके हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वसीले से मर्कज़े अहले सुन्नत दारुल उलूम नूरी को मज़ीद तरक्की अता फरमाए और इदारा इसी तरह मेहनत करता रहे और इसी तरह हुज़ूर मुफ़्तिए आज़म ए हिंद के फ़ैज़ान को आम करता रहे। आमीन या रब्बल आलमीन।