सलीम भोख

भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी उद्देश्य के लिए, किसी चल या अचल संपत्ति का किसी व्यक्ति द्वारा हमेशा के लिए त्याग, जो इस्लामिक कानून के अनुसार पवित्र धार्मिक और उदार हो, वक्फ है। लगभग 120 विलियन रूपये की वक्फ संपत्तियों, वक्फ को वास्तविक भूमि बैंक बनाता है। लेकिन खराब प्रबंधन और दुरूपयोग की वजह से, यह लगभग 1.6 विलीयन रुपये ही बना पाते हैं। हालांकि, जरूरतमंद, गरीब और पिछड़ों की मदद करना ही वक्फ का निश्पक्ष उद्देश्य है। ये वक्फ संपत्तियां सार्वजनिक संपत्ति होती है जो न तो बेची जा सकती है, न हस्तानांतरित की जा सकती है और न ही किसी व्यक्ति विदेश के प्रयोग में लायी जा सकती है।

वक्फ संपत्तियों के सही प्रबंधन के लिए, वक्फ एक्ट 1954, जो केन्द्रीय वक्फ काउंसिल और राजकीय वक्फ प्रणाली का कियान्वयन करता है, समय-समय पर प्रबंधन में संसोधन करता है। फिर भी, कुछ विषेशज्ञ मानते हैं कि 70 प्रतिशत वक्फ संपत्तियों क्षतिग्रस्त है और उपयोग लायक नहीं है, जिसकी वजह इनकी चोरी, कब्जा और गलत प्रबंधन है। ढीले प्रबंधन की वजह से, भ्रश्टाचार बहुत अधिक हो गया है।

सही प्रमाणों, दस्तावेजों और रिकॉडों की कमी में, वक्फ मतावली वक्फ संपत्तियों को अवैधानिक व गैरकानूनी रूप से उपयोग में लाते हैं और अपनी मर्जी से उन्हें वेचते हैं। राज्य वक्फ बोर्ड भी अवैध आर्थिक लाभ में लिप्त हैं। कुछ रियल स्टेट कांड वक्फ संपत्तियों के भ्रश्टाचार को साबित करते हैं। उदाहरण के लिए बैंगलोर की विंडसोर मेनर होटल, जिसकी कीमत रु. 600 करोड़ है, रु. 12000 के किराए में दी गई है। कुछ रिर्पोट के अनुसार, पंजाब में 70 प्रतिशत वक्फ संपत्तियों में अवैध कब्जा हो चुका है जिसमें भटीडा की 1600 एकड़ जमीन भी भामिल है। 1997 में तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने मदास की प्रसिद्ध ट्रीपलीकेन हाई स्ट्रीट में स्थित 1710 वर्ग फीट संपत्ति को मात्र रू. 3 लाख में बेच दिया था। कई सालों से, वक्फ बोर्ड फरीदाबाद, हरियाणा की लगभग पाँच एकड़ जमीन को बहुत ही कम किराये में, लगभग ५००/- से 1500/- रूपये मासिक किराये पर दे रहा है। ओबेरॉय होटल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, मथुरा रोड, आंग्लो-अरेबिक स्कूल, बहादुर शाह जफर मार्ग के अख़बार कार्यालय और अनेक ऐसी जमीन, वक्फ संपत्तियों के दुरूपयोग के उदाहरण हैं। दिल्ली के 34 एकड़ वाले मिलेनियम पार्क में 10 एकड़ से ज्यादा की वक्फ जमीन में एक भामान है। इससे साबित होता है कि वक्फ प्राधिकारी वक्फ संपत्तियों का न तो सही उपयोग कर पा रहे हैं और न ही पर्याप्त रेवेन्यु बना पा रहे हैं जिसका सदुपयोग गरीब और जरूरतमंदों के लिए किया जा सके। करोड़ों रुपयों के वक्फ हर राज्य में है जो कि गरीबों के स्वास्थ्य, शिक्षा आदि में उपयोग की जा सकती है। इसीलिए वक्फ बोर्ड में भी सुधार की आव यकता है। सच्चर कमीटी की रिपोर्ट ने भी इस तथ्य पर विचार कर सुझाव दिया है। अतः इन कठिनाईयों को दूर करने और परिस्थितियों को बेहतर करने के लिए सरकार, समाज और वक्फ बोर्ड सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन हो सके, सदुपयोग हो सके और जिम्मेदारियों सुनिचित हो सके और कानूनी मदद मिल सके।