निराकार के नाम मेरी नईया पार लगा : कंवर कलाम
इंदौर: भाषा, भुषा, भोजन, भजन के उत्थान व संवरक्षक से हि संस्कृति पनपती। इसी उदेश्य को लेकर सिन्धू मुंहिंजी जीजल कि इस वर्ष कि 10 संगीतमय प्रस्तुति इन्दौर मेनेजमेंट सभागृह मे सम्पन्न हुई। स्वाद से संस्कार कि श्रृंखला मे मिठी "कुट्टी" धनश्याम आहुजा ने प्रसादी वितरित कि।
"नाले अलख जे बेडो पार मुंहिंजों,
दुनिया है, बड़ी दुरगीं,"
भगत कंवरराम के कलाम से भोपाल के कलाकार प्रिया ज्ञानचंदानी व सुनिल टेकवानी ने अलौकिक शक्ती से तार जोड़े।
कुल 14 गीत प्रस्तुति कि गयी । गीतों कि प्रस्तुति मे सिन्धी छेज़ नृत्य पर दर्शक झूम ऊठे।
भगवान झूलेलाल का निर्वाण पर्व चालिसा 16 जुलाई से पारंभ हुआ है, इस अवसर पर राष्ट्र परिवार मे शान्ति, निरोगी काया कि मन्नत का पल्लव पडा गया चित्र अवसर का । कलाकार व टीम परिचय किशोर कोडवानी ने दिया। स्वागत दिलिप माटा व आभार जगदीश फेरवानी ने दिया।