अपराधों से दूर रहकर नेकी की राह पर चलने की नसीहत 

इंदौर। रमजान का मुबारक महीन बुरी आदतों को छोड़ कर नेक राह पर चलने का है। बंदियों ने अपने गुनाहों (पाप) से माफी की दुआ मांगी । इंदौर की सेंट्रल जेल में सैकड़ों बंदी भी रोजा रख रहे हैं।सेंट्रल जेल में तक़रीर के साथ रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम आयोजित किया गया और दुआएं मांगी गई।आयोजक अख़्तर हुसैन ने बताया अपराधों से दूर रहकर नेकी की राह पर चलने की नसीहत दी गयी। मुख्य अतिथि शहर क़ाज़ी डॉ. इशरत अली, सूफी अब्दुल हफ़ीज़ अशरफी बाबा, सर्वधर्म संघ के प्रमुख मंज़ूर बेग, जिला वक्फ कमेटी के अध्यक्ष रेहान शेख, मोहसिन पटेल, आज़म खान, समीर खान प्रमुख रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम का सुंदर संचालन ताहिर कमाल सिद्दीकी ने किया। जेल प्रशासन की तरफ से उपजेल अधीक्षक सुजीत खरे, भूपेंद्र रघुवंशी, इंदरसिंह नागर, सहायक जेल अधीक्षक दिनेश दांगी मौजूद थे। इस मौके पर अतिथियों व जेल अधिकारियों का शाल, पुष्पमाला व गुलदस्ता देकर सम्मान से नवाज़ा गया। खानकाहे अशरफिया के सज्जादा नशीन सूफी अब्दुल हफ़ीज़ अशरफी बाबा ने तक़रीर की। सभी बंदियों ने तक़रीर सुनी और साथ में रोज़ा इफ्तार किया। जेल ने बताया मुस्लिम बंदियों के साथ कई हिंदू बंदी भी रमजान माह में रोजा रख रहे हैं। जेल प्रशासन की ओर से इन रोजेदारों को बकायदा इफ्तार भी कराया जाता है। उपजेल अधीक्षक सुजीत खरे ने बताया मुस्लिम बंदियों के साथ हिंदू बंदी रोजा रखकर कौमी एकता की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं। सूफी संत अब्दुल हफ़ीज़ अशरफी बाबा  ने तक़रीर में कैदियों से कहा कि रमज़ान का महीना दिलों को नरम करने के लिए आया है, इसलिए हमारे व्यवहार में नम्रता लाना चाहिए। उन्होंने कहा कैदियों को नेक राह से जोड़ने के लिए यह रोज़ा इफ्तार जेल परिसर में कराया जा रहा है ताकि सजा पूरी होने के बाद जब यह कैदी फिर से समाज के बीच जाएं तो ऐसे कृत्य दोबारा ना दोहराएं जिनसे समाज का नुकसान हो।

क़ाज़ी इशरत अली ने कहा अपनी सोच बदलें और दोबारा अपराध की गलियों में न भटकें। रोज़ा इफ्तार से पहले जब दुआ मांगी गई तो कई बंदियों की आंखें नम हो गयी। सभी बन्दियों ने एक जाजम पर बैठकर रोज़ा खोला और मगरिब की नमाज़ अदा कर देश की खुशहाली की दुआ मांगी और अपराध से दूर रहने का संकल्प लिया। अख्तर हुसैन ने जेल अधीक्षक अलका सोनकर सहित सभी अधिकारियों व अतिथियों का आभार माना।