सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी का हुआ निधन

आम आदमी की आवाज हो गई खामोश
इंदौर:-लौट जाती है दुनिया गम हमारा देखकर जैसे लोड जाती है लहरें किनारा देखकर तुम कंधा न देना मेरे जनाने को दोस्त कहीं फिर जिंदा ना हो जाऊं दोस्त तेरा सहारा देखकर यह शेर जीते जी गुनगुनाने वाले आम आदमी की आवाज को उच्चतम न्यायालय तक पहुंचाने वाली एक आवाज अब हमेशा के लिए खामोश हो गई। हिंदू मुस्लिम भाईचारे की एक जिंदा मिसाल हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। 9 फरवरी को अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी के अचानक इस दुनिया से चले जाने से उनके जानने वाले सभी आश्चर्यचकित हैं।
मध्य प्रदेश के सागर में जन्मे एहतेशाम हाशमी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटनी और सागर से की। एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी के पिता शरीफ़ हाशमी रेलवे में आफीसर थे ,घर में सरकारी नौकरी का माहौल होने के बावजूद एहतेशाम हाशमी को सामाजिक कार्य करने का जुनून था। अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी में बचपन से ही अपना पक्ष रखने का बेहतरीन सलीका था।शिक्षक और उनके सहपाठी एहतेशाम हाशमी के जरिए अपनी बात प्रिंसिपल तक पहुंचाया करते।
उनकी इसी बात करने की काबिलियत पर उनके शिक्षकों और दोस्तों को इतना भरोसा था कि उन्होंने एहतेशाम हाशमी को वकील बनने की नसीहत दी।महार रेजिमेंट पब्लिक स्कूल सागर और एसजी मेमोरियल स्कूल कटनी से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद एहतेशाम हाशमी ने डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के 5 ईयर एलएलबी प्रोग्राम में एडमिशन लिया। एलएलबी करने के बाद एहतेशाम हाशमी ने अपनी कर्मभूमि के रूप में देश की राजधानी दिल्ली को चुना।दिल्ली में उन्होंने तीस हजारी कोर्ट, पटियाला हाउस कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कार्य करना शुरू किया।मध्यप्रदेश के एक छोटे से शहर में जन्मे इस वकील ने देश में अपनी एक अलग पहचान बनाई। अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी देश के सर्वोच्च न्यायालय में भारत सरकार, इंडियन आर्मी , मध्य प्रदेश सरकार और दिल्ली सरकार की ओर से पैरवी कर चुके थे।
इसके अलावा एहतेशाम हाशमी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में भी पैरवी कर चुके थे।इतने उच्च स्तर पर रहने के बावजूद बेहद सामान्य जीवन जीने वाले अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी जीवन भर सामाजिक कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहें। हाल ही में इंदौर में तस्लीम चूड़ी वालें के साथ कुछ नफरती लोगों ने मारपीट की। चूड़ी वाले की तरफ से जब उन लोगों पर एफ आई आर की गई तो जवाबी कार्यवाही में चूड़ी वाले पर भी मामला दर्ज करवा दिया गया। जब यहां पर अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी ने मानव अधिकारों का हनन होता हुआ देखा उन्होंने फ्री ऑफ कॉस्ट तस्लीम चूड़ी वाले का केस लड़ने का फैसला किया और तस्लीम चूड़ी वाले को उच्च न्यायालय से जमानत दिलवाई।साल 2021 में जब त्रिपुरा में हिंदू मुस्लिम हिंसा भड़की। तो एहतेशाम हाशमी, एडवोकेट मुकेश और अंसार इंदौरी त्रिपुरा में हिंसा की वजह जानने के लिए और और हिंसा की वजह से वहां हुए नुकसान को जानने के लिए त्रिपुरा पहुंचे थे। जहां से उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता के कई संदेश दिए और बावजूद इसके जब त्रिपुरा सरकार ने उनके खिलाफ यूएपीए में मुकदमा दर्ज किया तो सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप कर इस पूरी कार्रवाई को गलत बताते हुए एहतेशाम हाशमी के हक में फैसला सुनाया कई हाई प्रोफाइल केस में पैरवी कर चुके अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी चाहते थे कि निर्धन व्यक्तियों को भी न्याय उतनी ही आसानी से मिलना चाहिए जितना पैसे वालों को मिलता है।
इसी मुहिम के चलते उन्होंने "जस्टिस फॉर ऑल" नामक एक प्रोग्राम भी शुरू किया था। जिसमें वह उन लोगों की लड़ाई फ्री ऑफ कॉस्ट लड़ते रहे जो लोग पैसों की कमी के कारण अपनी आवाज हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक नहीं पहुंचा पाते।अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी के साथी एडवोकेट ज्वलंत सिंह चौहान बताते हैं कि एहतेशाम हाशमी साहब हमेशा इंसानियत को ही सर्वोपरि मानते थे। ज्वलंत सिंह कहते हैं कि अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी हिंदू मुस्लिम भाईचारे की एक ज़िंदा मिसाल थे। एहतेशाम हाशमी के आखिरी समय में भी उनके साथ उनके जूनियर नीरज थे।9 फरवरी 2023 को अचानक से अधिवक्ता एहतेशाम हाशमी का हार्ट अटैक के कारण निधन हो गया।